प्रकृति के साथ जुड़ने की भावना का प्रकटीकरण है जल गंगा संवर्धन अभियान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

अभियान का समापन एवं वाटरशेड सम्मेलन खण्डवा में होगा 30 जून को

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जल हमारी पहली जरूरत है। वर्षा जल का संचयन और उसका संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। सरकार ने इसी दिशा में कदम बढ़ाकर जल गंगा संवर्धन अभियान संचालित किया है। यह सिर्फ एक अभियान नहीं, वरन् प्रकृति के सानिध्य और इसके समीप जाकर आत्मीयता से जुड़ने की सहज भावना का प्राकट्यकरण है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत प्रदेश में संचालित विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे। इस अभियान का समापन एवं वाटरशेड सम्मेलन आगामी 30 जून को खण्डवा जिले में होगा।

बड़े तालाब और पुरानी बावड़ियों को भी इस अभियान से जोड़ें

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भोपाल के बड़े तालाब और सभी पुरानी बावड़ियों को भी जल गंगा संवर्धन अभियान से जोड़कर इनके विकास के लिए नवाचार किए जाएं। बड़े तालाब में शिकारा भी चलाया जा सकता है या नौकायन प्रतियोगिता भी कराई जा सकती है। इससे जनता का जुड़ाव बढ़ेगा।

जनप्रतिनिधियों की सहभागिता जरूरी

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जल गंगा संवर्धन अभियान में जनप्रतिनिधियों की सहभागिता बेहद जरूरी है, इसलिए समापन समारोह से पहले प्रदेश के सभी जिला एवं जनपदों के प्रतिनिधि, नगरीय निकायों के पदाधिकारी, विधायक, सांसद, मंत्रीगण आगामी 30 जून तक इस अभियान के तहत हो रही विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय होकर सहभागिता करें। इससे सबमें जल संरक्षण का भाव और भागीदारी का मानस विकसित होंगा।

खंडवा में होगा समापन समारोह

बैठक में प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती दीपाली रस्तोगी ने अभियान के तहत अब तक हुई गतिविधियों एवं प्राप्त उपलब्धता की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस अभियान में खंडवा जिले में जल संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय काम हुआ है। इसीलिए अभियान का समापन समारोह भी खंडवा में ही प्रस्तावित है। समापन समारोह में खण्डवा जिले के निकटवर्ती खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर एवं अन्य जिलों के प्रतिभागी शामिल होंगे। समापन समारोह में खण्डवा में प्रदेश के सभी 20 हजार जलदूत सहित वाटरशेड परियोजनाओं के सभी उपयोगकर्ता दल, सभी स्व-सहायता समूह, कृषक उत्पादक संगठनों के सभी सदस्य, वाटर शेड समितियों के पदाधिकारी, उत्कृष्ट कार्य करने वाले सरपंच, अमृत सरोवरों के उपयोगकर्ता दलों के सदस्य, इस अभियान के तहत निर्मित खेत तालाबों के हितग्राही, विभिन्न विभागों के जल संरक्षण कार्यों के हितग्राही सहित करीब 50 हजार प्रतिभागी शामिल होंगे।

प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास ने बताया कि इस अभियान के दौरान बड़ी संख्या में पुराने जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के साथ ही नई जल संरचनाओं का निर्माण भी किया गया है। अभियान में जनप्रतिनिधियों और समाज की भागीदारी से अच्छे परिणाम मिले हैं। अनुमान है कि जितनी तादाद में पुरानी और नई जल संरचनाओं में जल संजोया गया है, उनसे करीब 400 मिलियन क्यूबिक लीटर जल संचयन हुआ है। अभियान के तहत 1.03 लाख पुराने कुंओं में जल पुनर्भरण हुआ है। पुरानी बावड़ियों को भी साफ कराया गया है। उन्होंने बताया कि समापन समारोह में सभी सहभागी विभागों द्वारा इस अभियान के अंतर्गत किए गए जल संरक्षण और संवर्धन, जल स्रोतों का प्रदूषण कम करने, ऐतिहासिक जल संरचनाओं को संरक्षित करने, जल वितरण प्रणालियों की साफ सफाई आदि विषयों पर हुए उत्कृष्ट कार्यों का प्रदर्शन करते हुए एक वृहद प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

जल संरक्षण में अच्छा काम करने वाले होंगे सम्मानित

प्रमुख सचिव ने बताया कि जल गंगा संवर्धन अभियान के समापन समारोह में प्रदेश के प्रत्येक वाटरशेड जिले की एक वाटरशेड कमेटी के अध्यक्ष, प्रत्येक वाटरशेड जिले के एक डब्ल्यूडीटी सदस्य, सर्वाधिक खेत तालाब, कूप पुनर्जलभरण कराने वाली ग्राम पंचायतों के सरपंच तथा नगरीय क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ जल संरक्षण कार्य करने वाले निकायों के महापौर, अध्यक्ष को मंच से सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा अभियान के अंतर्गत भौतिक रूप से पूरे हो चुके निर्माण कार्यों (प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के कार्य भी शामिल रहेंगे), नगरीय विकास विभाग द्वारा अभियान के दौरान जीर्णोंद्धार की गई जल संग्रहण संरचनाओं, जल संसाधन विभाग द्वारा पूरी की गई लघु और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं सहित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के कार्यों की आयोजना और प्रबंधन के लिए वाटरशेड-डब्ल्यूएमएस का लोकार्पण किया जाएगा।

बैठक में मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन श्री राघवेन्द्र कुमार सिंह, प्रमुख राजस्व आयुक्त श्री विवेक पोरवाल, सचिव एवं आयुक्त जनसम्पर्क डॉ. सुदाम खाड़े, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिबि चक्रवर्ती, मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार डॉ. श्रीराम तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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